भाव महक गये जरा मुरली धुन सुनाओ प्रभु दिल के आँगन में फूल खिल जायें जरा स्वर सजाओ तो भाव के गगन में मेघ बरस जायें ,,,एक बार आओ तो झूम झूम गायें मन में उतर आओ तो ,,,मेरा यह मन भावन गीत तुम्हे मिलेंगें साँसों के संगीत की अभिनन्दन तुम्हे मिलेगें बरसेगा सावन झूम झूम के जब भाव में हम तुम मिलेगें प्रार्थना बनेगेंरे मन सब निरस है सरस है मुरली धुनचुपके से आकर इस दिलमें उतर जाते हो,सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो। तुम बादल बूँदें धरती अम्बर,सब कुछ सावन तुम होतुम सा ही दिखता है सबकुछ,तुम सा हैधवल चांदनी में भी धुन है, तेरी ही रुनझुन गुनगुन है,बिछी हर सिंगार की चादर,तुम सी है मुरली की धुन या बहती थी किसलय पुरवाई देवालय से आती ध्वनियाँ,तुम सा हैहर एक दिन एक साल रहा, पतझर भी मधुमास रहा लगता है बसंत सा मौसम, तुम जैसामुक्त छंद थे,कवितायेँ थी,गीतों की भी मालाएं हैं तुम नजर आते हो रे मन सब धुनमयी नजर आती है
