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“प्रपत्ति-बोधिनी”कभी-कभी जिस समय हमें विश्वास की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है, उसी समय हम अविश्वासी हो जाते हैं। विपत्ति को आते देखकर ही हम अपना विश्वास उतार फेंकते हैं। यह सबसे बड़ी मूर्खता है। विपत्ति से निपटने में विश्वास ही तो सहायक है। उसे पकड़े रहें। विपत्ति में विश्वास को और अधिक कसकर पकड़ लें।
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