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पीड़ा तन की हो या मन की जब तक भोगनी लिखी है तब तक तो भोगनी ही पड़ेगी, जितने गहरे भाव से बुरा कर्म किया गया होगा उतनी ही गहराई से कर्मभोग प्रभावित और प्रताड़ित करेगा और उतने ही लम्बे समय तक उसे भुगतना पड़ेगा। कर्मफल से कोई बच नहीं सकता, जब तक लेन देन चुकता नहीं होगा तब तक उससे छुटकारा नहीं होगा। ऋणानुबन्ध के पूर्ण होते ही सारी पीड़ा समाप्त होगी, जैसी भी पीड़ा हो घबराओ मत, पीड़ा से अपना ध्यान हटा लो, समय सभी पीड़ाओं को ठीक करेगा।जो दिन रात भगवान श्रीकृष्ण का नाम लेता हैं उन्हें याद करता हैं उन्हें अपने में बसा लेता हैं वह हरि का सच्चा दास हो जाता है। वह शीघ्र ही समस्त पीड़ाओं से मुक्त हो जाता हैं।
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