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परमात्मा का नाम ही त्रिताप अर्थात अधिदैविक, अधि भौतिक आध्यात्मिक दु:खों को दूर कर सकता है। केवल उस परमात्मा का नाम स्मरण करना चाहिए जो समस्त संसार का पालनहार है। जिसका नाम वेदों, पुराणों और श्रुति एवं स्मृतियों ने सर्वश्रेष्ठ बताया है। नाम सुमिरन तीन प्रकार से होता है। वाणी से, जिह्वा से और सबसे उत्तम मन का सिमरण होता है। परमात्मा के नाम का स्मरण एक जहाज है जिसमें बैठकर श्रद्धालु साधक भव सागर से पार हो जाता है।
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