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वैष्णव का सबसे बड़ा लक्षण है सहजता ,सरलता ,वही सच्चा वैष्णव है जो मान अपमान से ऊपर उठकर रह सके। अभिमान के पुत्र का नाम अपमान है। मान से अभिमान का जन्म होता है और अभिमान से अपमान।जिसे न मान की चिंता हो न अपमान की वही साधु है।हम सब रोज मेरे सरकार का चरित्र पढ़ते है पर उसका अनुकरण नही करते उससे कुछ सीखते नहीं। जब युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया तो सभी को अच्छे 2 कार्य दिये गये पर मेरे सरकार ने जूठी पत्तल उठाने का काम लिया ।कोई जब भोज न करता तो ठाकुर झट उसकी पत्तल सर पर रखकर ले जाते। अर्जुन के सारथी बन गये कोई मान की चिंता नहीं। हम सभी यदि उनके हैं तो उन्ही की तरह बनना पड़ेगा।
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