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काम,क्रोध,लोभ,मोह,ईर्ष्या,प्रेम,अहंकार आदि सभी भावनाएं एक साथ एक द्वीप पर रहतीे थी। एक दिन समुद्र में एक तूफान आया और द्वीप डूबने लगा। हर भावना डर गई और अपने अपने बचाव का रास्ता ढूंढने लगी। लेकिन प्रेम ने सभी को बचाने के लिए एक नाव बनायी। सभी भावनाओं ने प्रेम का आभार जताते हुए शीघ्रातिशीघ्र नाव में बैठने का प्रयास किया। प्रेम ने अपनी मीठी नज़र से सभी को देखा कोई छूट न जाये। सभी भावनाएँ तो नाव मे सवार थी लेकिन अहंकार कहीं नज़र नहीं आया। प्रेम ने खोजा तो पाया कि, अहंकार नीचे ही था ... ! नीचे जाकर प्रेम ने अहंकार को ऊपर लाने की बहुत कोशिश की,लेकिन अहंकार नहीं माना। ऊपर सभी भावनाएं प्रेम को पुकार रहीं थी,"जल्दी आओ प्रेम!तूफान तेज़ हो रहा है,यह द्वीप तो निश्चय ही डूबेगा और इसके साथ साथ हम सभी की भी यंही जलसमाधि बन जाएगी। कृपया जल्दी करो" "अरे! अहंकार को लाने की कोशिश कर रहा हूँ यदि तूफान तेज़ हो जाय तो तुम सभी निकल लेना।मैं तो अहंकार को लेकर ही निकलूँगा।" प्रेम ने नीचे से ही जवाब दिया और फिर से अहंकार को मनाने की कोशिश करने लगा। लेकिन अहंकार कब मानने वाला था यहां तक कि वह अपनी जगह से हिला ही नहीं। अब सभी भावनाओं ने एक बार फिर प्रेम को समझाया कि अहंकार को जाने दो क्योंकि वह सदा से जिद्दी रहा है। लेकिन प्रेम ने आशा जताई,बोला, "मैं अहंकार को समझाकर राजी कर लूंगा तभी आऊगा......." तभी अचानक तूफान तेज हो गया और नाव आगे बढ़ गई। अन्य सभी भावनाएं तो जीवित रह गईं, लेकिन........ अहंकार के कारण प्रेम मर गया !!
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