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एक दो बार समझाने से यदि कोई नही समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना *छोड़ना पड़ता है* बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना, *छोड़ना पड़ता है* गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं जुड़ते तो उन्हें, *छोड़ना पड़ता है* एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना, *छोड़ना पड़ता है*अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना,एक दो बार समझाने से यदि कोई नही समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना *छोड़ना पड़ता है* बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना, *छोड़ना पड़ता है* गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं जुड़ते तो उन्हें, *छोड़ना पड़ता है* अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना,यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, *छोड़ना पड़ता है*हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना *छोड़ना पड़ता है*बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, *छोड़ना पड़ता है*उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना, *छोड़ना पड़ता है*यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, *छोड़ना पड़ता है*हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना *छोड़ना पड़ता है*बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, *छोड़ना पड़ता है*उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना, *छोड़ना पड़ता है*
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