Life is the best opportunity for us to serve God The stopping of these limited breaths is a journey. When you reach yourself, the experience will be a strange new one. God's leela getting you interviewed.

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घर के अंदर सिर्फ दिल लेकर जाएं और अपने मन परमात्मा की ओर ले जाएं। शांति और सुख अपने घर के अंदर ही मौजूद होता है। लघु भावनाओं से सजे मंदिर में बैठे, ध्यान में जाएं और उस सुखद स्थिति का मजा लें जो केवल घऱ की शांति दे सकती है। #गहनसचेतनताकेरंगमें #प्रभुकेचरणोंमें #घरकेअंदरकेशांति #रविवारकेदिन #पुजाकावक्त्र #सदासुखीहो

संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह सब ईश्वरीय विधान है, हम और आप तो केवल निमित्त मात्र हैं, इसीलिये कभी भी ये भ्रम न पालें कि मै न होता तो क्या होता ...?अशोक वाटिका में जिस समय रावण क्रोध में भरकर तलवार लेकर सीता माँ को मारने के लिए दौड़ पड़ा, तब हनुमान जी को लगा कि इसकी तलवार छीन कर इसका सिर काट लेना चाहिये, किन्तु अगले ही क्षण उन्हों ने देखा मंदोदरी ने रावण का हाथ पकड़ लिया, यह देखकर वे गदगद हो गये। वे सोचने लगे। यदि मैं आगे बढ़ता तो मुझे भ्रम हो जाता कि यदि मै न होता तो सीता जी को कौन बचाता...???बहुत बार हमको ऐसा ही भ्रम हो जाता है, मै न होता तो क्या होता ? परन्तु ये क्या हुआ सीताजी को बचाने का कार्य प्रभु ने रावण की पत्नी को ही सौंप दिया। तब हनुमान जी समझ गये कि प्रभु जिससे जो कार्य लेना चाहते हैं, वह उसी से लेते हैं।आगे चलकर जब त्रिजटा ने कहा कि लंका में बंदर आया हुआ है और वह लंका जलायेगा तो हनुमान जी बड़ी चिंता मे पड़ गये कि प्रभु ने तो लंका जलाने के लिए कहा ही नही है और त्रिजटा कह रही है की उन्होंने स्वप्न में देखा है, एक वानर ने लंका जलाई है। अब उन्हें क्या करना चाहिए? जो प्रभु इच्छा।जब रावण के सैनिक तलवार लेकर हनुमान जी को मारने के लिये दौड़े तो हनुमान ने अपने को बचाने के लिए तनिक भी चेष्टा नहीं की, और जब विभीषण ने आकर कहा कि दूत को मारना अनीति है, तो हनुमान जी समझ गये कि मुझे बचाने के लिये प्रभु ने यह उपाय कर दिया है।आश्चर्य की पराकाष्ठा तो तब हुई, जब रावण ने कहा कि बंदर को मारा नही जायेगा पर पूंछ मे कपड़ा लपेट कर घी डालकर आग लगाई जाये तो हनुमान जी सोचने लगे कि लंका वाली त्रिजटा की बात सच थी, वरना लंका को जलाने के लिए मै कहां से घी, तेल, कपड़ा लाता और कहां आग ढूंढता, पर वह प्रबन्ध भी आपने रावण से करा दिया, जब आप रावण से भी अपना काम करा लेते हैं तो मुझसे करा लेने में आश्चर्य की क्या बात है !इसलिये हमेशा याद रखें कि संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह सब ईश्वरीय विधान है, हम और आप तो केवल निमित्त मात्र हैं, इसीलिये कभी भी ये भ्रम न पालें कि मै न होता तो क्या होता ?